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शुभ नवरात्रि (Shubh Navratri)

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शुभ नवरात्रि

 

* जय माता दी * * जय माता दी * * जय माता दी *

 

* जय माता दी * * जय माता दी * * जय माता दी *

सर्वप्रथम ऑनलाइन तैयारी ग्रुप के सभी पाठकों को शुभ नवरात्रि की सहृदय शुभकामनाएं,

माँ दुर्गा आप सभी की मनोकामना पूर्ण करें ….…

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प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।

 

* जय माता दी * * जय माता दी * * जय माता दी *

मां का पहला रूप : मां शैलपुत्री

मां का स्वरूप :

आदि शक्ति ने अपने इस रूप में शैलपुत्र हिमालय के घर जन्म लिया था, इसी कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है।

मां का दूसरा (द्वितीया) रूप : मां ब्रह्मचारिणी


मां का स्वरूप :

भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। इस कठिन तपस्या के कारण इस देवी को तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी नाम से अभिहित किया। उन्हें त्याग और तपस्या की देवी माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी के धवल वस्त्र हैं। उनके दाएं हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है।

तीसरा (तृतीया) रूप : मां चंद्रघंटा


मां का स्वरूप :

मां के माथे पर घंटे के आकार में अर्धचंद्र है। जिसके चलते इनका यह नाम पड़ा मां का यह रूप बहुत शांतिदायक है। इनके पूजन से मन को शांति की प्राप्ति होती है। ये भक्त को निर्भय कर देती हैं। देवी का स्मरण जीवन का कल्याण करता है

मां का चौथा (चतुर्थी) रूप : मां कूष्मांडा


मां का स्वरूप :

इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। मां की आठ भुजाएं हैं। अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी कूष्माण्डा इस चराचार जगत की अधिष्ठात्री हैं।
इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।

मां का पांचवा (पंचमी) रूप : मां स्कंदमाता


मां का स्वरूप :

स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। इनका वर्ण पूर्णत: शुभ्र है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है।

मां का छठा (षष्ठी‌)रूप : मां कात्यायनी


मां का स्वरूप :

नौ देवियों में कात्यायनी मां दुर्गा का छठा अवतार हैं। देवी का यह स्वरूप करुणामयी है। देवी पुराण के अनुसार कात्यायन ऋषि के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाता है। मां कात्यायनी का शरीर सोने जैसा सुनहरा और चमकदार है। मां 4 भुजाधारी और सिंह पर सवार हैं। उन्होंने एक हाथ में तलवार और दूसरे हस्त में कमल का पुष्प धारण किया हुआ है। अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं।

मां का सातवां (सप्तमी)रूप : मां कालरात्रि


मां का स्वरूप :

मां दुर्गाजी की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। मां कालरात्रि के पूरे शरीर का रंग एक अंधकार की तरह है, इसलिये शरीर काला रहता है। इनके सिर के बाल हमेशा खुले रहते हैं।
गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं। ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के सदृश गोल हैं। इनसे विद्युत के समान चमकीली किरणें नि:सृत होती रहती हैं। मां की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं। इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है। ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं।
दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है, लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम ‘शुभंकारी’ भी है। अत: इनसे भक्तों को किसी प्रकार भी भयभीत अथवा आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है।

मां का आठवां (अष्टमी) रूप : मां महागौरी, दुर्गा महा अष्टमी.


मां का स्वरूप :

मां की वर्ण पूर्णत: गौरवर्ण है। इनके गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कुन्द के फूल से दी जाती है। आठ वर्षीय महागौरी के समस्त वस्त्र तथा आभूषण आदि भी श्वेत हैं। इनकी चार भुजाएं है तथा वाहन वृषभ (बैल) है। मां की मुद्रा अत्यन्त शांत है और ये अपने हाथों में डमरू, त्रिशूल धारण किए वर मुद्रा और अभय-मुद्रा धारिणी है।

मां का नौवां (नवमी) रूप : मां सिद्धिदात्री

मां का स्वरूप :

मां सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान हैं और उनकी चार भुजाएँ हैं। मां सिद्धिदात्री की सवारी सिंह हैं। देवी ने सिद्धिदात्री का यह रूप भक्तों पर अनुकम्पा बरसाने के लिए धारण किया है। देवता, ऋषि-मुनि, असुर, नाग, मनुष्य सभी मां के भक्त हैं।

 

* जय माता दी * * जय माता दी * * जय माता दी *

 

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