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हिन्दी व्याकरण भाग ३ (HINDI GRAMMAR PART 3)
श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द
नीचे कुछ श्रुतिसम भिन्नार्थक शब्द दिए जा रहे है-
(1) असन – भोजन – संतुलित असन स्वास्थ्यकर होता है।
आसन – बैठने की वस्तु – मेरे गुरु महाराज आसन पर बैठ गये।
आसत्र – निकट -‘मैंने देखा है’- आसत्रभूत का उदाहरण है।
(2) अवधि – समय सीमा – अल्पावधि (कम समय में) में ही मेरा छोटा भाई अंग्रेजी सीख गया।
अवधि – भाषा विशेष – ‘रामचरितमानस’ की भाषा अवधी है।
(3) अवमर्ष – स्पर्श, संपर्क – भाग्यशालियों को संतों का अवमर्श प्राप्त होता है।
अवमर्ष – विचार – विमर्श, आलोचना- कोई निर्णय लेने से पहले बुद्धिमानों से अवमर्ष आवश्यक है।
(4) अंस – कंधा – मेरे अंसों पर पूरे परिवार का भार है।
अंश – हिस्सा – सबको अपना-अपना अंश मिलना चाहिए।
(5) अलि – भौंरा – फूलों पर बहुत-से अलि मँडरा रहे है।
अली – सखी – राधा की एक अली का नाम शांता था।
(6) अपेक्षा – आकांक्षा, इच्छा – मैं आपसे अच्छे व्यवहार की अपेक्षा करता हूँ।
उपेक्षा – निरादर – किसी की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
(7) अनिष्ट – बुराई – अच्छे लोग दूसरों का अनिष्ट नहीं करते।
अनिष्ठ – निष्ठारहित – अनिष्ठ समाज में सम्मानित नहीं होते।
(8) अयस – लोहा – अयस से अस्त्र-शस्त्र निर्मित होते है।
अयश – अपयश – अयश से बचना चाहिए।
(9) द्रव – रस, पिघला हुआ – जल द्रव है।
द्रव – धन, पदार्थ – द्रव्य दिन-प्रतिदिन महँगे होते जा रहे है।
(10) द्विप – हाथी – द्विप विशालकाय होते है।
द्वीप – टापू – श्रीलंका एक द्वीप है।
(11) नीर – पानी – भाषा बहता हुआ नीर होती है।
नीड़ – घोंसला – रात में पंछी अपने-अपने नीड़ों में विश्राम करते हैं।
(12) प्रकार – रीति – इस बाग में विभिन्न प्रकार के फूल खिले हैं।
प्राकार – किले का अंग – प्राकार ध्वस्त हो रहा है
(13) वसन – वस्त्र – उसके वसन पुराने किन्तु स्वच्छ थे।
व्यसन – आदत – जुए का व्यसन बहुत खराब होता है।
(14) परुष – कठोर – प्रस्तर (पत्थर) परुष होता है।
पुरुष – व्यक्ति – आज के पुरुषों में पुरुषत्व नहीं रह गया है।
(15) कर्म – कार्य – कर्म का फल अवश्य मिलता है।
क्रम – सिलसिला – क्रम में छात्र आते गये और अपना-अपना पुरस्कार लेते गये।
(16) मास – महीना – साल में बारह मास होते है।
मांस – गोश्त – उस भिखारी के शरीर पर मांस नहीं था।
(17) मद्य – शराब – मद्यपान से स्वास्थ्य खराब होता है।
मध्य – बीच – नौका नदी के मध्य डूब गई।
(18) कुल – वंश – जयंत के कुल में जगदीश ऐसा कोई पुत्र नहीं हुआ।
कूल – किनारा – नौका कूल पर लग गई।
(19) बात – वचन – उसकी बात में सच्चाई है।
वात – हवा – वात धीरे-धीरे बह रहा है।
(20) श्रवण – कान – श्रवणों में नुकीली चीज कभी नहीं डालनी चाहिए।
स्त्रवन – बहना – उसकी आँखों से आँसू स्त्रवित होने लगे।
(21) सूची – अनुक्रमणिका, विवरणिका – सामानों की सूची लिख लीजिये।
शुचि – पवित्र – पूजा-पाठ में शुचिता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
सूची – सूई – सूची और सूत्र (धागा) का अन्योन्याश्रित संबंध होता है।
(22) शौर्य – शूरता – राणा प्रताप शौर्य के प्रतीक थे।
सौर्य/सौर – सूर्य से संबद्ध – सौर्य तेज से ही हम जीवित है।/सौर-मंडल में अनेक ग्रह है।
(23) स्रोत – सोता – भयंकर गर्मी के कारण पानी के सभी स्रोत सूख गये है।
श्रोत – वेद – श्रोत चार है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
(24) स्वक्ष – सुंदर आँख – उसके स्वक्षों में जादू है।
स्वच्छ – साफ – स्वच्छ पानी पीना चाहिए।
(25) शर्व – शिव – शर्व को महादेव भी कहते हैं।
सर्व – सब – सर्व प्राणियों में आत्मा का निवास होता है।
(26) सुत – बेटा – राम दशरथ के बड़े सुत थे।
सूत – सारथि/धागा – कृष्ण अर्जुन के सुत (सारथि, रथ हाँकनेवाले) थे।/ महीन सूत से बना कपड़ा टिकाऊ होता है।
(27) शुक – सुग्गा – शुक डाल पर बैठा अमरुद खा रहा है।
शूक – जौ की बाल/पौधे के कड़े रोयें – शूक में महीन और लंबे-लंबे रोयें होते हैं।
(28) लक्ष्य – उद्देश्य – मेरे जीवन का लक्ष्य सुयोग्य डॉक्टर बनना है।
लक्ष – लाख – राजा ने मंत्री को दो लक्ष मुद्रायें दीं।
(29) मूल – जड़ – सुनील सारी झंझटों का मूल है।
मूल्य – दाम – मूल्यवृद्धि से उपभोक्ता परेशान है।
(30) विजन – मनुष्य रहित स्थान – वह भटकता हुआ विजन में पहुँच गया था।
व्यजन – पंखा – गर्मी में व्यजन से राहत मिलती है।
व्यंजन – सब्जी, तरकारी – कल दीदी ने स्वादिष्ट व्यंजन बनायी थी।
(31) यथेष्ट – जैसा चाहा हो गया – मुझे मेरे परिश्रम का यथेष्ट पुरस्कार नही मिला।
स्थेष्ट – अत्यंत दृढ – उमेश बाबू स्थेष्ट संकल्प के व्यक्ति है।
(32) परिणाम – फल – जैसा सोचा था वैसा परिणाम नहीं मिला।
परिणाम – मात्रा – अल्प परिणाम में दवा लेनी है।
(33) कृति – रचना – ‘रामचरितमानस’ एक महान कृति है।
कृती – निपुण – अनूप जलोटा कृती गायक है।
कीर्ति – यश – उनकी कीर्ति चारों ओर फैल गयी।
(34) सामान – पदार्थ – विवाह में लगनेवाले सामानों की सूची तैयार करनी है।
समान – बराबर, सदृश्य – गाँधी के समान सत्य और अहिंसा के प्रेमी बहुत ही कम होंगे।
सम्मान – आदर – बड़ों को सम्मान देना चाहिए।
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